Sunday 4 January 2009

वोः साल था कैसा?

वोः साल था कैसा?

हर साल की तरह आया यह साल,
ओल्य्म्पिक्स की धूम छा रही थी, छिड चुका था चाइना का ताल,

कई सालों बाद भारत को दर्शन हुए उस सुनहरे पदक के,
बिंद्रा ने ऐसा निशाना लगाया, उड़ गए, सब देखते रहे भौचक्के,

IPL का शंखनाद हुआ, देश विदेश के खिलाड़ी मिलके दिखाने वाले थे गेम,
कहीं वारने ने राजस्थान का हाथ थामा, तोः कहीं हेडेन बन गए चेन्नई के फेम,

३ विश्व कप्स अपनी मुट्ठी में करने वाली कंगारू टीम,
न पोंटिंग, न ही हुस्से, जब चला ज़हीर और इशांत का seam,

इस बार सरकारी कर्मचारी भी कुछ कम खुश न था,
क्यों न हो, 5 साल बाद उसके हाथ में 6th pay कमीशन का पैसा जो आके रुका था,

खेल जगत ही नही, विज्ञानं ने भी पूरी तरक्की की,
अब क्यों USA और क्यों Russia, जब घर बेठे हमने ही आविष्कार कर दिया "चंद्र यान" की,

पर US की उड़ान अब कुछ धीमी हुए थी,
Economic Meltdown से दुनिया तिल मिला उठी थी.


IT- BT का टाइटैनिक meltdown के iceberg से टकराया,
जहाज डूबने लगा, सारी companys ने लोगों को बाहर का रास्ता दिखाया,

देश पर दुश्मनों की वक्र दृष्टि पड़ी,
डेल्ही, जयपुर, ह्य्द्राबाद, बंगलोर और आख़िर में मुंबई पे गिर पड़ी विपदा बड़ी,


हमारी प्रगति और खुशी न देखी गए पड़ोसियों से,
कायरों की भाँती फिदायीन भेज दिए, रंगने हमें खून से,

मासूम लोगों की जानें गई, ३ दिन चला यह मौत का तांडव,
ताज, ओबेरियो और नारीमन हो गए वीरान, चीन गया उनका वय्भव

साल की शुरवात कितनी अच्छी और अंत इतना भयानक क्यों?
पिछले साल की तरह, न ही इस बार वोह खुशी है और न नए साल आने का आनंद, 2008 हो गया इतना दर्दनाक क्यों?

पर हम हिन्दुस्तानी कभी न हार माने हैं,
कितना भी दबा लो, हम वापस आयेंगे, यह दुनिया जाने है.

२००९ के स्वागत में, २००८ को न भूलना, ना आने पाये कोई और साल ऐसा,
याद करेंगी हमारी पीदियाँ, वोः साल था कैसा?