"जागो हिन्दुस्तानी"
अब हर घर में मातम छाया,
हर माँ बार बार देखे, बेटा घर क्यों नही आया?
अमन और शान्ति की इस सभ्यता को, लगी यह किसकी नजर,
यूँ ही हाथ पे हाथ धरे बेठे रहे तोः निगल लेगा हमें भी यह अजगर,
अब बहुत हुआ यह मौत का तांडव, देने नही देंगे अपने भाइयों को कुर्बानी,
फूलों का गुलदस्ता देने का वक्त गया, अब युद्ध की बारी है,,, जागो हिन्दुस्तानी………...
बंगलोर, जयपुर,हैदराबाद, डेल्ही और अब निशाने पे अपनी मुंबई,
इतना खून बहा मेरे भाइयों का, खून पि पि के धरती भी जम गई,
दिवाली के पटाके नही, यह गोली- बारूद का है शौर,
आज न रुका तोः फिर कभी न रुकेगा,, बिछ जाएँगी लाशें चारों और..
क्या यूँ ही घर और ऑफिस में उलझे रहेंगे हम, करने देंगे उन्हें अपनी मनमानी,
दुनिया की सबसे बड़ा प्रजातंत्र हम, दिक्खाने का समय आया, जागो हिन्दुस्तानी.........
सुबह घर से निकले, वापस लौटेंगे इसका पता नही,
सामने से कोई थप्पड़ भी मारे, तोः हमें पलट कर वार करना आता नही,हमारी अच्छाई को कमजोरी न समज ले दुश्मन,
हर बार हम ही क्यों चोट खाए और लगते बेठे मरहम,
वोह दिन दूर नही, जब खाने को खाना नही , और पीने को नही होगा पानी,
एक ऊँगली से कुछ न होगा, चलो मुठी बन जाएँ, जागो हिन्दुस्तानी.........